हमारे
देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है । उससे पहले
धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के
बर्तन चलते थे । अंग्रेजो ने जेलों में कैदिओं के लिए एल्युमिनिय के बर्तन
शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता है ।
एल्युमिनिय के बर्तन के उपयोग से कई तरह
के गंभीर रोग होते है । जैसे अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि ।
पुराने समय में काँसा और पीतल के बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे
मने जाते है । यदि सम्भव हो तो वही बर्तन फिर से ले कर आयें । हमारे
पुराने वैज्ञानिकों को मालूम था की एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत
में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं
बनाये क्योंकि यह भोजन बनाने और खाना खाने के लिए सबसे घटिया धातु है ।
इससे अस्थमा, टी बी, दमा, बातरोग में बढावा मिलता है ।
जिस पात्र में खाना पकाया जाता है, उसके तत्व खाने के साथ शरीर मे चले जाते है और क्योकि ऐलुमिनियम भारी धातू हैं इसलिये शरीर का ऐसक्रिटा सिस्टम इसको बाहर नहीं निकल पाता। ये अंदर ही इकट्ठा होता रहता हैं और बाद में टीबी और किडनी फ़ेल होने का कारण बनता हैं। आंकड़ों से पता चलता है जब से अंग्रेजों ने एल्युमिनियम के बर्तन भारत में भेजे हैं पेट के रोगों में बढ़ोत्तरी हुई है।
अंग्रेजों ने भगत सिंह, उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे जितने भी क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने जेल में डाला। उन सबको जानबुझ कर ऐलुमिनियम के पात्रो में खाना दिया जाता था, ताकि वे जल्दी मर जायें।
बड़े दुख की बात है आजादी के 64 साल बाद भी बाक़ी क़ानूनों की तरह ये कानून भी नहीं बदला नहीं गया हैं। आज भी देश की जेलो मे कैदियो को ऐलुमिनियम के पात्रो मे खाना दिया जाता है।
लेकिन आज हमने अपनी इच्छा से अपने शौक से इस प्रैशर कुकर को घर लाकर अपने मरने का इंतजाम खुद कर लिया हैं।
इसलिए एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग बन्द करें ।
अधिक जानकारी के लिए ये विडियो देखे :
http://www.youtube.com/ watch?v=EwSr2TsZMXc
जिस पात्र में खाना पकाया जाता है, उसके तत्व खाने के साथ शरीर मे चले जाते है और क्योकि ऐलुमिनियम भारी धातू हैं इसलिये शरीर का ऐसक्रिटा सिस्टम इसको बाहर नहीं निकल पाता। ये अंदर ही इकट्ठा होता रहता हैं और बाद में टीबी और किडनी फ़ेल होने का कारण बनता हैं। आंकड़ों से पता चलता है जब से अंग्रेजों ने एल्युमिनियम के बर्तन भारत में भेजे हैं पेट के रोगों में बढ़ोत्तरी हुई है।
अंग्रेजों ने भगत सिंह, उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे जितने भी क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने जेल में डाला। उन सबको जानबुझ कर ऐलुमिनियम के पात्रो में खाना दिया जाता था, ताकि वे जल्दी मर जायें।
बड़े दुख की बात है आजादी के 64 साल बाद भी बाक़ी क़ानूनों की तरह ये कानून भी नहीं बदला नहीं गया हैं। आज भी देश की जेलो मे कैदियो को ऐलुमिनियम के पात्रो मे खाना दिया जाता है।
लेकिन आज हमने अपनी इच्छा से अपने शौक से इस प्रैशर कुकर को घर लाकर अपने मरने का इंतजाम खुद कर लिया हैं।
इसलिए एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग बन्द करें ।
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